Jesus Death Mystery (Photo - Social Media)
Jesus Death Mystery (Photo - Social Media)
यीशु की मृत्यु का रहस्य: यीशु मसीह की मृत्यु की सही तारीख का सवाल सदियों से विद्वानों और धार्मिक नेताओं के बीच चर्चा का विषय रहा है। अब, अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा द्वारा प्रस्तुत खगोलीय प्रमाणों से यह रहस्य काफी हद तक स्पष्ट होता नजर आ रहा है। 3 अप्रैल 33 ईस्वी को घटित चंद्रग्रहण को यीशु की मृत्यु से जोड़ा जा रहा है।
नासा की खोज: विज्ञान और आस्था का संगम
नासा के खगोलीय डेटा विश्लेषण में यह पाया गया कि 3 अप्रैल 33 ईस्वी को यरूशलेम में सूर्यास्त के बाद एक पूर्ण चंद्रग्रहण हुआ था। इस ग्रहण के दौरान चंद्रमा गहरे लाल रंग में परिवर्तित हो गया, जिसे आज 'ब्लड मून' के नाम से जाना जाता है।
ईसाई धर्मग्रंथों में संकेत
धार्मिक ग्रंथों में उल्लेख है: “सूरज अंधकारमय हो जाएगा और चंद्रमा खून की तरह लाल हो जाएगा, इससे पहले कि प्रभु का महान और भयानक दिन आए।” (बाइबिल, योएल 2:31 और प्रेरितों के काम 2:20)
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की पुष्टि
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के विशेषज्ञों ने नासा की खगोलीय गणनाओं का विश्लेषण करने के बाद कहा कि यह वही दिन हो सकता है जब यीशु को क्रूस पर चढ़ाया गया था। उनका मानना है कि यह घटना पासओवर (Passover) से ठीक पहले की है, जो यहूदी पंचांग के अनुसार निसान महीने की 14 तारीख को पड़ती है, जो 3 अप्रैल 33 ईस्वी को आई थी। उस दिन शुक्रवार था, जिसे आज 'गुड फ्राइडे' कहा जाता है।
1990 में खोजी गई जानकारी का पुनरुत्थान
नासा ने यह खगोलीय डेटा 1990 के दशक में अपने सॉफ्टवेयर मॉडल द्वारा खोजा था, जिसमें प्राचीन ग्रहणों की गणना की जाती है। हालांकि, यह जानकारी तब सीमित दायरे में रही। 2025 में गुड फ्राइडे के मौके पर यह खोज चीनी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर वायरल हो गई, जिससे इस पर फिर से वैश्विक बहस शुरू हो गई।
नासा के वैज्ञानिकों का दृष्टिकोण
“यीशु के सूली पर चढ़ने के बाद चंद्रमा लाल हो गया था, यह खगोलीय रूप से संभव है और इससे धार्मिक विवरणों की पुष्टि होती है।”
इतिहासकारों की राय
धार्मिक इतिहासकारों और बाइबिल विशेषज्ञों का मानना है कि यह खोज ईसाई धार्मिक इतिहास को ठोस खगोलीय संदर्भ देती है। कुछ विद्वानों का मत है कि यीशु की मृत्यु 30 ईस्वी में हुई थी, लेकिन अब नासा के डेटा के अनुसार 33 ईस्वी अधिक उपयुक्त प्रतीत होता है। यह चंद्रग्रहण यरूशलेम में शाम को स्पष्ट रूप से दिखाई दिया था, जो बाइबिल वर्णन के अनुसार ‘तीन घंटे का अंधकार’ और ‘प्राकृतिक वातावरण में बदलाव’ से मेल खाता है।
घटना का संक्षिप्त विवरण
दिनांक: 3 अप्रैल 33 ईस्वी,
घटना: पूर्ण चंद्रग्रहण
स्थान: यरूशलेम, इजरायल
दृश्य प्रभाव-
You may also like
Harvard vs. Trump: High-Stakes Showdown Sends Shockwaves Through U.S. Higher Education
अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए जरूरी है 'वन नेशन-वन इलेक्शन' : राजेश्वर सिंह
कर्नाटक के पूर्व डीजीपी ओम प्रकाश की रहस्यमयी मौत, पत्नी पर हत्या का शक
US Universities Reassure International Students Amid Escalating Visa Cancellation Fears
अमेरिकी उपराष्ट्रपति सोमवार से भारत यात्रा पर